
क्या आपके मन मे भी ये सवाल आता है कि sunscreen लगाना क्यों जरूरी है, क्यों सभी लोग बार बार सनस्क्रीन लगाने कि सलाह देते हैं, हर रोज लगाने को कहते हैं ? सनस्क्रीन स्किन केयर का बहुत ही अहम हिस्सा है, अगर आप किसी एक डर्मेटोलॉजिस्ट (स्किन स्पेशलिस्ट), प्रोफेशनल मेकअप आर्टिस्ट, स्किन केयर influencer को फॉलो करते हैं, या सोशल मीडिया पर देखते हैं तो हर कोई स्किन केयर रूटीन में Sunscreen को शामिल करने की बात कहता है। उन्हे देखकर या सुनकर हम बाजार से सनस्क्रीन ले तो आते हैं लेकिन 2 से 4 दिनों बाद वह सिर्फ हमारी वैनिटी की शोभा बढ़ाने के काम आता है, इस्तेमाल नहीं हो पाता, इसका कारण है कि हम सनस्क्रीन की अहमियत नहीं समझते, हमे पता ही नही है कि यह कितना जरूरी है हमारी त्वचा के लिए, तो इस पोस्ट में हम जानेंगे कि –
- सनस्क्रीन क्या है
- सनस्क्रीन लगाना क्यों जरूरी है
- सनस्क्रीन के प्रकार
- कौन सा सनस्क्रीन बेहतर है
- SPF क्या होता है
- कितने SPF का सनस्क्रीन लगाना चाहिए
- घर या बाहर कौन सा सनस्क्रीन बेहतर है
- स्किन टाइप और सनस्क्रीन
- ना लगाने से नुकसान
- PA+++ क्या होता है
- कब और कैसे लगाना चाहिए
- एक दिन में कितनी बार लगाना चाहिए
Sunscreen क्या होता है?
सनस्क्रीन एक तरह का कॉस्मेटिक क्रीम है जो कि त्वचा को धूप से डैमेज होने से बचाता है, इस क्रीम में कुछ खास इंग्रेडिएंट्स होते हैं को सूरज की हानिकारक किरणों को हमारी त्वचा में समाने से रोकते हैं, ये किरणों को त्वचा से वापस रिफ्लेक्ट कर देते हैं, त्वचा के कोशिकाओं को नुकसान होने से बचाते हैं। ये क्रीम स्किन स्पेशलिस्ट और प्रोफेशनल भी रिकमेंड करते हैं, चाहे लड़के हो या लड़कियां, बच्चे हो या बड़े सभी को सनस्क्रीन लगाने की सलाह दी जाती है।
Sunscreen लगाना क्यों जरूरी है
सूरज की किरणे धरती पर पड़ती हैं और काफी तेज होती हैं, जिनसे त्वचा में जलन होने लगती है, पहले earth के चारों तरफ का ओजोन लेयर सूरज की हानिकारक किरणों को रोक देता था, और सिर्फ अच्छी किरणों को आने देता था, लेकिन अब बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ओजोन लेयर भी डैमेज होता जा रहा, इसलिए ये पूरी तरह सूरज की हानिकारक किरणों को रोक नहीं पाता, ये किरणे त्वचा को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाती है, त्वचा से जुड़ी कई बीमारियों का कारण होती हैं, सनस्क्रीन इन किरणों से बचने में मदद करता है। सूरज की हानिकारक किरणों के कारण त्वचा में जलन, कालापन, रैशेज, खुजली, स्किन इन्फेक्शन और कैंसर जैसी बीमारी का भी खतरा होता है, इनसे बचने के लिए सनस्क्रीन लगाना बेहद जरूरी है।
सनस्क्रीन कितने प्रकार के होते हैं?
त्वचा और SPF के आधार पर सनस्क्रीन अलग अलग प्रकार के होते हैं, जो कि हम आगे जानेंगे। फिलहाल जानते हैं कि सनस्क्रीन कंसिस्टेंसी के आधार पर कितने प्रकार के होते हैं।
हम हर रोज चेहरे पर जो क्रीम या लोशन लगाते हैं वैसे ही सनस्क्रीन भी क्रीम या लोशन की तरह होते हैं, ये जेल, या स्प्रे के फॉर्म में भी बाजार में मिलते हैं। साथ ही चेहरे के लिए अलग और बॉडी के लिए अलग या फिर दोनो के लिए कॉमन सनस्क्रीन भी बाजार में उपलब्ध हैं। आज कल बालों के लिए भी सनस्क्रीन मिलने लगे हैं जो कि हेयर serum या फिर हेयर स्प्रे की तरह होते हैं और इनकी मदद से हम अपने बालों को भी नुकसान से बचा सकते हैं। हर तरह के सनस्क्रीन की कीमत अलग अलग होती है, साथ ही अलग अलग SPF की कीमत भी अलग होती है।
कौन सा सनस्क्रीन बेहतर है?
जैसा कि पहले मैंने बताया कि सनस्क्रीन क्रीम, gel, लोशन और स्प्रे के फॉर्म में मिलते हैं, आप अपनी त्वचा के प्रकार और स्किन केयर की टाइमिंग के हिसाब से अपने लिए सनस्क्रीन चुन सकते हैं, जैसे कि अगर आप कामकाजी हैं और आपके पास समय की कमी होती है तो आप स्प्रे वाले सनस्क्रीन ले सकते हैं, जिसे बस चेहरे पर स्प्रे करना होता है और सिर्फ 5 से 10 सेकंड में लग जाता है। और अगर आप स्किन केयर में अपना समय दे सकते हैं तो फिर क्रीम या लोशन या जेल कोई भी अपनी त्वचा के हिसाब से ले सकते हैं। त्वचा के हिसाब से कैसे sunscreen चुनना है ये आगे जानेंगे।
SPF और PA+++ क्या होते हैं?
SPF का पूरा मतलब है – ” Sun Protection Factor”
SPF वो फैक्टर या कारक है जो कि सूरज की UVB किरणों पर सनस्क्रीन की प्रभावशीलता ( effectiveness) को दर्शाता है। इन्हे Numeric तरीके से नापा जाता है, जैसे कि SPF 15, SPF 20, SPF 30, SPF 45, SPF 50, SPF 55, SPF 60 इत्यादि। SPF 75 अब तक का सबसे आखिरी माप है, जो की इसी साल 2022–2023 में बनाया गया है। SPF Factor त्वचा को सूरज की UVB किरणों से बचाता है ।
PA++ का मतलब है “Protection Grade of UVA” PA हमारी त्वचा को सूरज की UVA किरणों से बचाता है, इस प्रोटेक्शन ग्रेड को “+” के निशान से मापा जाता है, जैसे कि PA+, PA++, या PA+++ इत्यादि। ये माप भी सनस्क्रीन के UVA किरणों पर प्रभावशीलता (effectiveness) को बताते हैं।
UVA और UVB किरणे क्या है ?
- सूरज की तीन हानिकारक किरणों के नाम हैं, अल्ट्रा वॉयटेल A (UVA), अल्ट्रा वायलेट B(UVB) और अल्ट्रा वायलेट C(UVC). UVC किरणे सूर्य की सबसे हानिकारक किरणे हैं। लेकिन ये किरणे प्रकृति द्वारा ही एब्जॉर्ब हो जाते हैं, या यूं कहें कि ओजोन लेयर इन किरणों को सोख लेता है, इसलिए ये धरती तक या मानव शरीर तक नहीं पहुंचते हैं। लेकिन UVA aur UVB किरणे मानव शरीर तक पहुंचते भी हैं और उन्हें नुकसान भी पहुंचते हैं। UVA किरणे त्वचा में गहराई तक समा जाते हैं, जिनसे त्वचा में premature aging (समय से पहले झुर्रियां आना) की समस्या होती है साथ ही ये किरणे त्वचा के DNA को डैमेज करते हैं जिसके कारण स्किन कैंसर होने का खतरा होता है। जिससे बचने के लिए PA++ Factor का इस्तेमाल किया जाता है।
- UVB किरणे त्वचा के रंग को बदल सकती हैं जिसे हम टैनिंग कहते हैं, धूप के कारण कालापन होना UVB किरणों के कारण होता है, जिससे बचने के लिए SPF का इस्तेमाल किया जाता है।
- सूरज की किरणों में UVB किरणे काफी ज्यादा होती हैं और सिर्फ कुछ हद तक ही UVA किरणे हम तक आती हैं इसलिए ज्यादातर सनस्क्रीन सिर्फ SPF वाले होते हैं ताकि ज्यादा आने वाले UVB किरणों से हमारी त्वचा को बचा सकें।
कब कितने SPF का सनस्क्रीन लगाना चाहिए?
कोई भी सनस्क्रीन 100% तक त्वचा को सूर्य की किरणों से नही बचाता इसी % को मापने के लिए ही SPF Factor का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे पहले SPF 50 की बात करते हैं, जो कि सूरज की 98% UVB किरणों को रोक देता है और केवल 2% ही हमारी त्वचा तक पहुंचते हैं, मतलब Sun Rays से बहुत से भी बहुत कम नुकसान होगा। SPF 30 96.7% किरणों को रोकता है, और लगभग 3% किरणे त्वचा में जाती हैं। वैसे ही SPF 20 वाले सनस्क्रीन लगाने से 4% किरणे ही त्वचा को छू सकते हैं। अगर सनस्क्रीन ना लगाएं तो सूर्य की किरणे त्वचा को 30 से 40 गुना तक नुकसान पहुंचाते हैं। अब जानते हैं कि कब कितने spf का सनस्क्रीन लगाना चाहिए।
- सबसे पहले SPF 15 वाले सनस्क्रीन का अविष्कार हुआ जिसे हर 2 घंटे में बार बार लगाने की जरूरत पड़ती है। SPF 30 (15×2 = 30, ) हर 4 घंटे में लगाने की जरूरत पड़ती है, यानी कि 4 घंटो बाद SPF 30 का असर खत्म हो जाता है, अगर आप घर पर हैं तो आप इन दोनों में से किसी भी एक सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। घर पर ज्यादातर खिड़कियों या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से ही हमें UVB और UVA किरणे मिलती हैं।
- अगर कामकाजी हैं और घंटों तक फील्ड में या बाहर की धूप का सामना करना पड़ता है तो SPF 50 वाला सनस्क्रीन बेहतर है, ये 98% तक UVB किरणों को त्वचा में जाने से रोकता है और क्योंकि इसका असर 7 से 8 घंटो तक टिका रहता है, इसलिए इसे बार बार लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
- अगर आप ऑफिस जाते हैं या हर रोज सुबह के समय कहीं बाहर जा रहे हैं और सिर्फ ट्रैवलिंग में ही धूप का सामना करना है, तो आप SPF 30 का सनस्क्रीन ले सकते हैं।
- बात करते हैं उनकी जो हर तरह के काम करते हैं, घर पर भी हैं, कभी कभी फील्ड वर्क में भी जाते हैं, तो हर समय के लिए अलग अलग सनस्क्रीन लेने की जरूरत नहीं है, SPF 50 या 55 आपके लिए आइडल है।
- इसके अलावा SPF 50 से ज्यादा के जो सनस्क्रीन हैं जैसे कि 55, या 70 इन सबके प्रोटेक्शन में कुछ खास अंतर नही है, लेकिन इनकी कीमत ज्यादा होती है, तो अगर आप बजट में सनस्क्रीन लेना चाहते हैं तो SPF 50 ही बेहतर है।
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घर पर सनस्क्रीन लगाना जरूरी है?
अक्सर हम ये गलती करते हैं कि घर पर रहते हुए हम सनस्क्रीन को avoid करते हैं, लेकिन घर पर रहते हुए भी सनस्क्रीन लगाना बेहद जरूरी है इसके कारण हैं –
- खिड़कियों और रोशनदान से भी सूरज की किरणे हम तक पहुंच जाती हैं, भले ही ये बाहर की तुलना में कम हानिकारक होते हैं, लेकिन नुकसान जरूर पहुंचाते हैं।
- हम जो भी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे कि मोबाइल, ipad, लैपटॉप, कंप्यूटर आदि का इस्तेमाल करते हैं उनमें UVA और UVB दोनों किरणे होती है इसलिए घर पर हैं तो भी सनस्क्रीन लगाना जरूरी है।
PA+++ सनस्क्रीन
आपने देखा होगा सनस्क्रीन में SPF के अलावा PA++ भी लिखा होता है, ये हमारी त्वचा को डैमेज से बचाते हैं, UVA किरणों को रोकते हैं, और स्किन कैंसर जैसी बीमारी का खतरा भी नही होता। PA+ का फैक्टर शुरुआत में बताया है।
- अगर आप फील्ड वर्कर हैं, तो ऐसे सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें जिसमे SPF और PA+ दोनों हो।
- काफी ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन के सामने रहते हैं, जैसे कि सॉफ्टवेयर का काम या लैपटॉप डेस्कटॉप पर घंटो काम करते हैं तो SPF 50 के साथ PA+++ वाले सनस्क्रीन का ही इस्तेमाल करें।
- आज कल बाजार में उपलब्ध लगभग सारे सनस्क्रीन में PA++ या PA+++ भी मौजूद होता है, चाहे वह SPF 30 हो या SPF 60, लेकिन प्रोडक्ट के पैक में highlighted तरीके से लिखा होता है, तो ऐसे सनस्क्रीन आप निश्चित रूप से हर समय के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
सनस्क्रीन और स्किन टाइप
हर कॉस्मेटिक हर त्वचा के लिए अलग अलग आते हैं, चाहे मॉइश्चराइजर हो या मेकअप, ठीक उसी तरह सनस्क्रीन भी अब त्वचा के लिए अलग अलग आते हैं, जैसा की मैने सनस्क्रीन के प्रकार में बताया था, जेल, क्रीम, स्प्रे इत्यादि इनमे से जेल और क्रीम त्वचा के प्रकार के लिए हैं तथा स्प्रे बस एक तरह का यूजर पैकेज है जो कि ऑयली, नॉर्मल, शुष्क आदि त्वचा के लिए अलग अलग स्प्रे में आते हैं।
- 8 से 10 साल पहले जब सनस्क्रीन का चलन शुरू हुआ तब ये सिर्फ नॉर्मल लोशन की तरह ही होते थे जो की लगाने से काफी ज्यादा ऑयली और चिपचिपे दिखाई देते थे, इसीलिए ज्यादातर लोग सनस्क्रीन का इस्तेमाल नहीं करते थे। खासकर जिनकी त्वचा में पहले से काफी ऑयल आता था वो सनस्क्रीन पर ध्यान ही नही देते थे।
- पिछले कुछ सालों में सनस्क्रीन का चलन काफी ज्यादा बढ़ गया और इसलिए इसके इंग्रेडिएंट्स में काफी एक्सपेरिमेंट्स भी किए जाने लगे और हर स्किन टाइप के लिए अलग अलग सनस्क्रीन बनाए जाने लगे।
- सनस्क्रीन लगाना बेहद ही जरूरी है, इस जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए आज कल हर सोशल मीडिया माध्यम पर तरह तरह के ब्रांड्स अपने हर skintype के लिए सनस्क्रीन का प्रचार प्रसार करते हैं। साथ ही उसकी महत्ता को भी बताते हैं।
- हर ब्रांड में, हर बजट में, आपको अपनी त्वचा के लिए परफेक्ट सनस्क्रीन मिल जायेगा। चाहे वो नॉर्मल ब्रांड हो या कोई नेचुरल, ऑर्गेनिक या सल्फेट–पराबेन फ्री ब्रांड हो।
- अगर आपकी त्वचा ऑयली है तो आपको matte और जेल वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।
- अगर आप ड्राई स्किन के हैं तो आपको क्रीम बेस्ड या हाइड्रेटिंग सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।
- नॉर्मल त्वचा हो तो कोई भी अपनी पसंद का या क्रीम बेस्ड सनस्क्रीन ले सकते हैं।
- Combination skin के लिए जेल सनस्क्रीन ही बेहतर है।
- स्प्रे सनस्क्रीन ज्यादातर वाटर बेस्ड होते हैं जो कि हर टाइप के त्वचा को सूट करते हैं, लेकिन अगर वो क्रीम बेस्ड हैं तो उसके पैकेज में सनस्क्रीन किस स्किन टाइप के लिए है ये लिखा होता है।
सनस्क्रीन कब और कैसे लगाते हैं?
सनस्क्रीन के बारे में इतना कुछ तो आपने जान ही लिया अब जानते हैं की इसका इस्तेमाल कैसे करना है, कितनी क्वांटिटी लेनी है या कितने देर में लगाना चाहिए या कैसे और कब लगाना चाहिए?
कब लगाना चाहिए
सनस्क्रीन खासकर धूप व सूर्य की किरणों से बचाने के लिए इस्तेमाल करते हैं इसलिए इसे दिन में लगाना चाहिए, लेकिन अगर आप नाइट टाइम डिजिटल वर्क करते हैं, जैसे कि घंटो लैपटॉप या डेस्कटॉप वाला काम शाम या रात को भी करते हैं तो रात को भी सनस्क्रीन लगा लें।
साथ ही सनस्क्रीन स्किनकेयर का सबसे आखिरी चरण है, यानी कि फेस वॉश, toner, सीरम, आई क्रीम, मॉइश्चराइजर, और फिर सबसे अंत में सनस्क्रीन लगाया जाता है, लेकिन अगर आप मेकअप करते हैं तो ध्यान रखे कि सनस्क्रीन स्किन केयर का हिस्सा है, मेकअप का नहीं इसलिए सनस्क्रीन लगाने के बाद ही मेकअप करें।
“सनस्क्रीन को हमेशा बाहर जाने से 15 मिनट पहले लगाना चाहिए” ये आपने अक्सर सुना होगा, लेकिन ये पुरानी बात है, अब जो सनस्क्रीन आते हैं वो काफी प्रभावशाली और अपडेटेड हैं इसलिए आपको अपना अतिरिक्त समय लगाने की जरूरत नहीं, सिर्फ त्वचा में एब्जॉर्ब होने तक का ही इंतजार करना है।
अगर स्प्रे का इस्तेमाल कर रहे हैं तो मेकअप के ऊपर भी लगा सकते हैं।
कितनी क्वांटिटी होनी चाहिए
सनस्क्रीन में SPF aur PA ++ तो होंगे ही, लेकिन अगर आलने सही क्वांटिटी नही लगाई तो वो कुछ खास असर नहीं करेगा, इसलिए इसका ध्यान रखना भी जरूरी है।
- अगर आप क्रीम या जेल वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आधे चम्मच जितना सनस्क्रीन लेकर पूरे चेहरे और गर्दन पर फैला कर लगा लें।
- अगर आप लोशन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह क्रीम या जेल की तुलना में पतला कंसिसिटेंसी का होता है, इसलिए आसानी से त्वचा पर फेल जाता है, इसलिए इसे आधे चम्मच से कम या फिर आप जितना अपना फेस क्रीम या मॉइश्चराइजर को लगाते हैं उतना ही सनस्क्रीन लोशन को भी लगाना चाहिए, वैसे लोशन ज्यादातर बॉडी के लिए होते हैं तो बॉडी लोशन की तरह ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
- अगर सनस्क्रीन स्प्रे (sunscreen spray) का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो अपने चेहरे से 10 से 15 सेंटीमीटर की दूरी पर रखकर ही स्प्रे करें। और कम से कम 2 लेयर में जरूर स्प्रे करें।
सनस्क्रीन कैसे लगाते हैं
जैसा की ऊपर के प्वाइंट में क्वांटिटी बताया है, उतना लेकर अपने चेहरे पर अच्छी तरह उंगलियों से फैला लें और 2 से 3 मिनट के लिए छोड़ दें वो अपने आप चेहरे की त्वचा पर absorb हो जाता है। 2 से 3 मिनट के बाद चेहरे को कुछ सेकंड के लिए अच्छी तरह उंगलियों से मसाज कर लें, जब आपका सनस्क्रीन दिखाई नहीं दे रहा मतलब वो पूरी तरह से त्वचा में समा गया है और लग चुका है।
अगर लोशन का इस्तेमाल करते हैं जो कि बॉडी के लिए हैं, तो शरीर का जितना हिस्सा धूप में आना है, जैसे कि हाथ, पांव, हथेलियां आदि में अच्छी तरह बॉडी लोशन की तरह ही सनस्क्रीन को लगा लें।
एक दिन में कितनी बार सनस्क्रीन लगाना चाहिए
“कब कितने SPF का सनस्क्रीन लगाते हैं ” इस पैराग्राफ में अलग अलग SPF वाले सनस्क्रीन को कितनी बार लगाना चाहिए ये बताया गया है। लेकिन औसतन पांच से छह घंटे बाद भी अगर धूप के कॉन्टैक्ट में हैं तो सनस्क्रीन तो दोबारा लगा लेना चाहिए, यानी की दिन में 2 बार सनस्क्रीन का इस्तेमाल जरूरी है।
इन बातों का ध्यान रखें –
- सनस्क्रीन चेहरे और बॉडी दोनो के लिए अलग अलग आते हैं।
- अपनी स्किन टाइप का ध्यान में रखकर ही सनस्क्रीन का चुनाव करें।
- कहीं बार जाते समय सनस्क्रीन का पैक अपने बैग में भी रखें।
- Day cream या BB cream में भी SPF होता है, इसके बावजूद आपको अलग से सनस्क्रीन लगाने की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि इन क्रीम्स में PA+++ नहीं होता है, को कि सुबह से दोपहर की तेज धूप से नुकसान से बचाव के लिए जरूरी है।
- रात में अगर काम की वजह से सनस्क्रीन लगाया है तो सोने से पहले उसे धो लें या किसी वाइप से पोंछ लें क्योंकि ज्यादातर सनस्क्रीन हमारे pores को बंद कर देते हैं और रात में त्वचा को अच्छी हवा मिलनी जरूरी है।
- Lip balm भी SpF वाले आते हैं ताकि होंठो का रंग काला ना पड़े, इसलिए दिन में ऐसे लिप बाम का ही इस्तेमाल करें।
- सिर्फ चेहरे ही नहीं शरीर के बाकी खुले हिस्सों में भी सनस्क्रीन लोशन लगाना चाहिए।
- सनस्क्रीन को अपनी रोज की रूटीन का हिस्सा बना लें, सनस्क्रीन लगाने की आदत काफी अच्छी आदत है।
यहाँ आप मेरे मेकअप टूटोरियल के विडियो देख सकते हैं – Shraddha Pranchal Sao
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