PCOD आज कल बहुत ही कॉमन समस्य बन चुकी है, हर 3 मे से 1 female को PCOD की समस्या है, साथ ही इसका उम्र से भी कोई संबद्ध नहीं है, जब periods आने शुरू हो जाएँ तब शरीर मे हॉर्मोनल बदलाओ शुरू हो जाते हैं, और इसके बाद ही PCOD होने के भी chances बढ़ जाते हैं, और PCOD होने के बाद काफी सारे cofusions और doubts मन मे आते हैं – जैसे कि – क्या PCOD मे Pragnant होना मुश्किल है ? क्या वजन बढ़ता ही जाएगा कभी कम नही होगा ? PCOD का इलाज़ संभव है भी या नहीं ? PCOD- PCOS- Cyst ये क्या होते हैं ? क्या ये तीनों एक ही हैं ?

PCOD क्या होता है ?
PCOD – Poly-cystic Ovarian Disease यानि कि ओवरी (गर्भ) मे होने वाली बीमारी | ये बीमारी सिर्फ महिलाओं को होती है क्यूंकी ये ओवरी से संबधित है, जब आपकी ओवरी ढेर सारे immature (अपरिपक्व) eggs (अंडाणु) बनाने लगते हैं और ये अंडाणु कुछ समय बाद cyst या गांठ मे बादल जाते हैं इसी परेशानी को PCOD कहा जाता है | ये एक हॉर्मोनल अवस्था है जो की 5 से 10 % महिलाओं की fertility को प्रभावित करता है | ये 12 से 45 साल की उम्र के बीच कभी भी हो सकता है | भारत मे 9 से 22 % महिलाएं PCOD से ग्रसित हैं और ये रेट हर साल बढ़ता जा रहा है |
PCOD कैसे होता है ?
ओवरी प्रजनन ऑर्गन होता है, जो कि महिलाओं की Menstrual cycle (महवारी), और होर्मोंस प्रॉडक्शन को कंट्रोल करता है, होर्मोंस जैसे की – estrogen, Progesteron, inhibin, relaxin इत्यादि | ये होर्मोंस female भी हैं और male भी | पीसीओडी मे ओवरी मे सूजन होने लगता है और male होर्मोंस की quantity बढ्ने लगती है, जिसके कारण Infirtility (pragnancy मे समस्या ) होती होती है |
जब महिलाओं का हॉर्मोनल बैलेन्स बिगड़ने लगता है, तब PCOD या PCOS होने की संभावना होती है | और इस unbalance की वजह से कई सारी समस्याएँ होती हैं जैसे कि – महवारी पर प्रभाव पड़ना, वजन बढ़ना, गर्भ धरण ना कर पाना, Ovulation ना होना (अंडाणु ना बनना) |
क्या इलाज़ संभव है ?
समाज मे खासकर के गाँव जैसे अविकसित जगहों पर PCOD को लेकर कोई जागरूकता नहीं है, ऐसी भ्रांतियाँ हैं कि इसका कोई इलाज़ नहीं, और ये गर्भ धरण नहीं होने देता, लेकिन इसका इलाज़ संभव है और बेहद ही आसान है ये आसान से इलाज़ हैं –
- वजन नियंत्रण करना – इसके लिए आप एक अच्छी सी डाइट फॉलो करके अपना weight manage कर सकते हैं सही BMI मे वजन को कम करना है |
- प्रोपर मेडिकेशन -अगर PCOD कि समस्या थोड़ी बढ़ी हुई हो तो Dr आपको कुछ दवाइयाँ भी देते हैं जो पीसीओडी को बढ्ने से रोकते हैं |
- सही और जरूरी डाइट फॉलो करना |
इसके अलावा ये भी सच है कि एक बार आपकी ओवरी मे PCOD का आना हुआ तो ये पूरी जिंदगी के लिए रहेगा, यानि कि इलाज़ से ठीक होने के बावजूद ये दोबारा हो सकता है, इसलिए हर 6 से 8 महीने मे अपना regular checkup कराते रहना चाहिए | ताकि आप अपनी सावधानियाँ जरूरत पड़ने पर अपनाते रहें और पीसीओडी से बचे रहें |
PCOD और PCOS –
पीसीओडी – Polycistic ओवरी Disease और PCOS – Polycistic ovary Syndrome
PCOS और भी ज्यादा severe और सिरियस बीमारी है, जो कि पीसीओडी का ही रूप है लेकिन ज्यादा सिरियस होता है और दुनिया मे 0.2 से 2% तक कि महिलाएं PCOS से पीड़ित हैं PCOS से महिलाओं कि fertility बहुत ज्यादा प्रभावित होती है, और उनके लिए गर्भ धारण करना बेहद मुश्किल हो जाता है | जबकि PCOD मे fertility प्रभावित तो होती है लेकिन कम और इसका इलाज़ भी आसानी से और जल्दी हो जाता है |
PCOD के लक्षण (symptoms)-
- PCOD के बहुत ही साधारण से लक्षण है, कारण तो हमने जान लिया और इन कारणों पर हमारा कुछ खास ज़ोर नहीं है, यानि कि हमारी किसी गलती कि वजह से PCOD होना ? ये जरूरी नहीं है | तो आइये जानते हैं कि क्या लाक्षण हैं
(SYmptoms Of PCOD) – - फेशियल और बॉडी हैयर का ग्रोथ पहले से अत्यधिक बढ़ जाना जो कि मेल हॉरमोन के बढ्ने के कारण होता है |चेहरे के उन हिस्सों मे बाल दिखने लगते हैं जहां पहले आपने बाल नहीं देखे होंगे या साधारणतः कम रहे होंगे |
- इर्रेगुलर पीरियड्स – महवारी या मेंस्ट्रुअल साइकिल का बिगाड़ना या हर महीने समय पर ना आना | 2 से 3 महीने अगर महवारी संतुलित ना हो तो आपको डॉ कि सलाह ले लेनी चाहिए |
- प्लान करने के बाद भी Pragnant ना हो पाना |
- बालों का पहले से ज्यादा या बेहद झड़ना | जी हाँ चेहरे के बाल बढ्ने लगते हैं और सर के बाल झड़ने लगते हैं |
- अचानक वजन का ज्यादा बढ्ने लगना |
- एक्ने -अगर पहले कभी एक्ने या पिम्पले कि समस्या नही थी लेकिन अचानक ही acne होने लगे और साथ ही periods भी संतुलित ना हो तो ऐसी स्थिति मे डॉ से मिलकर सलाह लें |
ऐसा जरूरी नहीं कि ये सारे लक्षण आपको दिखाई दे तभी पीसीओडी हो, इनमे से कोई एक या दो लक्षण भी हो सकते हैं | ज़्यादातर महिलाओं को असंतुलित महवारी कि समस्या होती है और इसके साथ साथ बाकी के लक्षणो मे से कोई भी एक लक्षण दिखाई देता है |
कैसे मालूम करें ? –
अगर ऊपर बताए किसी भी लक्षण मे से कोई एक भी लक्षण आपको महसूस हो तो आप Gynachologist (स्त्री रोग विशेषज्ञ) के पास जा सकते हैं एक साधारण सी सोनोग्राफी करके ओवरी के हालत को देख सकते हैं और बता सकते हैं कि आपको PCOD है या नही, है तो कितना है कम या ज्यादा, या फिर होने कि संभावना है, इत्यादि |
आप चाहे तो किसी specific सोनोग्राफी सेंटर मे जाकर सीधे सोनोग्राफी करवा सकते हैं और रिपोर्ट मालूम करने के बाद Gynachologist से इलाज़ के लिए सलाह ले सकते हैं |
PCOD के कारण –
पीसीओडी के कई कारण हैं कुछ तो बेहद साधारण और अनियंत्रित हैं इनमे से कोई भी एक कारण अगर आपके शरीर मे है तो आपको PCOD होने कि संभावना हो सकती है –
- अचानक हुए होर्मोंस मे बदलाव
- खराब जीवनशैली बेकार कि आदतें जैसे कि उल्टा सीधा खाना पीना नियमित व्यायाम न करना या कम चलना
- शरीर को एक्टिव ना रखना सारा दिन बैठे हुए या लेटे हुए बिताना |
- ज़्यादातर कामकाजी महिलाएं ऑफिस या टेबल जॉब करती हैं जिनमे सारा दिन बैठे हुए ही काम करना होता है जिसके कारण एक्टिविटी कम हो जाती है |
- स्ट्रैस या टेंशन मे रहना स्ट्रेस तो लगभग हर बीमारी कि जड़ है लेकिन पकड़ और गर्भ धारण से इसके गहरे संबद्ध हैं, स्ट्रैस के कारण PCOD होता भी है और बढ़ता भी है |
- पकड़ का सबसे बड़ा कारण हमारी जीवनशैली ही है जिसके कारण ही होर्मोंस का काम करना प्रभावित होता है |
- लंबे समय तक गर्भनिरोधक गोलियों या सेवन करना ये हॉरमोन को प्रभावित करते हैं जिसके कारण अगर male हॉरमोन बढ्ने लगे तो PCOD हो जाता है |
- जेनेटिक या पारिवारिक इतिहास – अगर family मे किसी को पीसीओडी था तो आपको भी हो सकता है |
क्या सिर्फ शादीशुदा महिलाओं को PCOD होता है ?
ज़्यादातर लोग समझते हैं कि PCOD के कारण गर्भ धारण मे परेशानी होती है तो ये सिर्फ शादीशुदा महिलाओ को होते हैं लेकिन ऐसा नहीं है, होर्मोंस का बदलना जीवनशैली और शरीर के प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है, ये किसी भी 12 से 45 वर्ष कि महिला को हो सकता है, जी हाँ लड़कियों को भी PCOD हो सकते हैं |
PCOD के नुकसान / प्रभाव –
बीमारी और उसके लक्षण तो जान लिए लेकिन PCOD होने से आपको कौन कौन सी परेशानियाँ झेलनी पड़ सकती हैं ये जानना भी जरूरी है तभी बीमारी कि गंभीरता और इलाज़ कि महत्ता को समझ सकते हैं –
- ये शरीर के इंसुलिन को प्रभावित करता है जिसके कारण विभिन्न प्रकार के शुगर का पाचन नहीं हो पाता और diabetes होने का खतरा होता है |
- वजन बढ़ता ही जाता है भले ही आप हैवि fat वाले खाने नहीं खा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद वजन बढ़ता रहता है |
- ये कई होर्मोंस और आर्गन को प्रभावित करता है साथ ही thyroid हॉरमोन को भी नुकसान पाहुचता है जिसके कारण हाइपर थ्यरोइड हो सकता है |
- पीसीओडी और थ्यरोइड लगभग एक दूसरे के पूरक हैं अगर आपको थ्यरोइड है और समय पर इलाज़ नहीं किया तो PCOD हो सकता है
- अगर पीसीओडी है तो thyroid होने के संभावना बढ़ जाती है |
- पीसीओडी के कारण गर्भ धारण मे परेशानी होती है क्यूंकी ये मेल हारमोन को पैदा करता है जिसके कारण ovulation नहीं होता है |
- पीसीओडी के कारण बालों का झड़ना बेहद बढ़ जाता है गंजेपन कि समस्या तक हो सकती है |
- चेहरे पर एकने मुहासे आदि होने लगते हैं और बढ़ जाते हैं |
- महावरी मे दिक्कत होती है हर महीने समय पर पीरियड नहीं हो पाते |
क्या ये सिरियस बीमारी है ? –
हाँ भी और नहीं भी, अगर पीसीओडी कि शुरुआत हुई है तो इलाज़ जल्दी और आसानी से हो सकता है, साथ ही गर्भ धारण मे भी परेशानी नहीं होगी, लेकिन अगर ये बढ्ने लगे और इलाज़ पर ध्यान नहीं दिया, तो ये बड़े गांठ का रूप ले सकता है और इसके लिए ऑपरेशन कि नौबत आ सकती है | अगर ज्यादा बढ़ जाए तो PCOS हो सकता है और बेहद ज्यादा गांठें होने लगे तो ओवरियन कैंसर होने के chances हो जाते हैं |
क्या PCOD मे Pragnant होना मुश्किल है ?
नहीं मुश्किल नहीं है, लेकिन आसान भी नहीं है, साधारण लोगों कि तुलना मे PCOD से पीड़ित महिलाओं को थोड़ी परेशानी होती है, लेकिन सही तरीके से इलाज़ और जरूरत कि दवाइयों से अंडाणु प्रॉडक्शन को नियंत्रित किया जा सकता है और PCOD के रहते हुए भी गर्भ धारण कर सकते हैं जिसमे गर्भावस्था के दौरान PCOD से जुड़ी दवाइयाँ और डाइट भी दी जाती है ताकि गर्भावस्था भी सेहतमंद रहे और PCOD का इलाज़ भी हो जाए |
लेकिन अगर PCOS हो जाए या Cyst (गांठ) ज्यादा बड़ा और लंबा हो जाए तो गर्भ धारण मे बेहद परेशानी होती है, और काफी लंबे समय तक इलाज़ चलता रहता है | जबकि PCOD मे सिर्फ 6 से 7 महीने के अंदर Pragnancy संभव है |
क्या हैं इलाज़ ? –
PCOD के कई कारण है जो पहले के पैराग्राफ मे पढ़ा आपने, जिनमे से कौन सा कारण आपके गर्भ मे सूजन या गांठ लेकर आया है ये जानना जरूरी है, उसी के आधार पर इलाज़ किया जाता है जैसे कि –
- अगर बहुत ज्यादा हॉर्मोन अनियंत्रित है तो इन्हे नियंत्रित करने कि दवाइयाँ दी जाती है |
- अगर पीरियड समय पर नही आ रहे तो उन्हे समय पर लाने के लिए regulate करने कि दवाइयाँ होती हैं |
- अगर जीवनशैली के कारण PCOD है, जैसे कि – अत्यधिक स्ट्रैस, टेंशन, थकान, inactive (निष्क्रियता) तो फिर इन्हे सुधारने के लिए डाइट और टाइम टेबल दिया जाता है |
- वजन कम करना, अगर पूरे वजन का 5 से 10% वजन भी कम कर लिया तो PCOD को कंट्रोल किया जा सकता है |
- अगर पीसीओडी का कारण सिर्फ गर्भ मे सूजन है तो बिना दवाइयों के सिर्फ जीवनशैली मे सुधार लाकर पीसीओडी को नियंत्रित किया जा सकता है |
- अगर गांठ बनने लगी है भले ही कम हो तो वजन के अलावा भी शरीर मे कई बदलाव होते हैं इसके लिए दवाइयाँ ही कारगर होती हैं | चाहे aloepathic हो या आयुर्वेदिक या फिर होम्योपथिक कोई भी एक दवाई रेगुलर और समय पर लेते रहें लेकिन डॉ, कि सलाह से और 4 से 6 महीने मे PCOD पर काबू पाया जा सकता है |
- पूरी तरह से ठीक होने के बाद भी हर 6 से 8 महीने मे रेगुलर रूटीन चेकअप जरूर कराएं क्यूंकी PCOD पूरा खतम नहीं होता कम या हल्के रूप मे बचा ही होता है जो आगे चलकर वापस बढ़ सकता है
- इसलिए अपनी जीवनशैली को हमेशा बेहतर बना कर रखें |
- वजन कम करने वाले डाइट और exercises का निरंतर अनुसरण करें और शक्कर कि मात्रा को कम या ना के बराबर ही खाएं क्यूंकी PCOD मे इंसुलिन ठीक से काम नहीं कर पाता |
- अगर PCOD मे बहुत ज्यादा हॉरमोन अनियंत्रित है तो ब्लड टेस्ट करके मालूम किया जाता है कि कौन सा हॉरमोन सही नहीं है या बढ़ा हुआ है, फिर उसी के अनुसार दवाइयाँ और डाइट दी जाती है |
PCOD मे क्या खाएं क्या ना खाएं ?
Conclusion – क्या PCOD मे Pragnant होना मुश्किल है ?
PCOD मे सबसे पहले वजन नियंत्रण कि सलाह दी जाती है, अपने खान पान और शारीरिक सक्रियता का ध्यान रखें, अगर सिर्फ वजन नियंत्रण काफी ना हो तो पीसीओडी कि दवाइयाँ दी जाती है और ठीक होने के बाद आप आसानी से pragnant हो सकते हैं | अगर गर्भ धारण करना ही चाहते हैं ठीक होने का इंतज़ार नहीं करना, ऐसा ज़्यादातर फॅमिली pressure मे होता है या बढ़ती उम्र के कारण डॉ भी conceive करने कि सलाह देते हैं तो डॉ PCOD कि दवाइयाँ बदलते हैं या यूं करें कि ऐसी दवाइयाँ देते हैं जिनसे PCOD भी नियंत्रित रहे और गर्भ धारण भी हो जाए, लेकिन इसके बावजूद गर्भ धारण होने मे 5 से 7 महीने का समय लग जाता है |
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डॉ, कि कुछ खास सलाह होती है –
अक्सर वजन कम करने कि सलाह को हर कोई हल्के मे ले लेता है और जब ठीक से वजन कम नही होता तो स्ट्रैस बढ़ जाता है | PCOD मे वजन का कम होना थोड़ा धीरे हो जाता है, जिनहे पीसीओडी नहीं है, वे वजन कम करना चाहें तो आसानी से साधारण डाइट के साथ कर सकते हैं लेकिन पीसीओडी मे strict डाइट और ढेर सारे व्यायाम करके ही वजन कम करना पड़ता है, जो कि डाइट और एक्सर्साइज़ के बावजूद मुश्किल होता है |
ऐसे मे ज़्यादातर डॉ शादीशुदा महिलाओं को सलाह देते हैं कि पहले वे बच्चे कि प्लानिंग कर लें | और उसके अनुसर दवाइयाँ लें, गर्भावस्था मे ही पीसीओडी को नियंत्रित रखें, और डेलीवेरी के बाद वजन कम करने पर ध्यान दे, क्यूंकी Pragnancy मे वैसे भी वजन बढ़ जाता है |
मेकअप और स्किन केयर से जुड़ी विडियो देखने के लिए मेरे यूट्यूब चैनल पर जाएँ – Shraddha Pranchal Sao
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