PCOD मे क्या खाएं और क्या ना खाएं ?

इससे पहले की पोस्ट मे मैंने बताया था की PCOD और गर्भावस्था मे क्या संबद्ध है, इलाज़ क्या है, कारण क्या हैं, इत्यादि नीचे दिये हुए Blue लाइन पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं |

क्या PCOD मे pragnant होना मुश्किल है ?

इस पोस्ट मे हम जानेंगे कि – PCOD मे क्या खाएं और क्या ना खाएं ? क्यूँ की सिर्फ वजन कम करना ही जरूरी नहीं है, बल्कि बदले हुए हॉरमोन को नियंत्रित करना भी जरूरी है, इसके लिए जीवन शैली मे भी कुछ बदलाव करने पड़ते हैं, जैसे कि – नियमित और भरी व्यायाम, शरीर को सक्रिय (active) बनाए रखना और खान पान | व्यायाम तो आपके ऊपर निर्भर करता है आप कौन से कर रहे हैं, और कितनी देर तक करते हैं, क्यूंकी PCOD मे साधारण और हल्के व्यायाम से वजन कम होना तो बहुत मुश्किल है, थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, क्यूंकी PCOD मे इंसुलिन ठीक से काम नहीं करता और साथ ही Metabolism भी जिसके कारण वजन कम करना बेहद मुश्किल हो जाता है |

PCOD क्या है और इसके क्या नुकसान हैं ?

PCOD के कई रूप हैं जैसे कि – गर्भ मे सूजन या गांठ, इत्यादि | इसके कारण महवारी नियमित नहीं होती, गर्भ धरण करने मे परेशानी होती है, वजन बढ़ता ही जाता है, इन्सुलिन कमजोर हो जाता है, जिसके कारण diabetese होने का खतरा होता है, अगर पीसीओडी बहुत बढ़ जाए और PCOS का रूप ले ले तब तो गर्भ धारण बेहद मुश्किल हो जाता है | और अधिक बढ्ने पर ऑपरेशन कि जरूरत पड़ सकती है|

PCOD मे क्या क्या खाना चाहिए ?

PCOD मे सूजन को कम करने वाली जड़ी बूटियाँ खानी चाहिए जैसे कि – हल्दी, अदरक, लहसुन, तुलसी, इत्यादि | इसके अलावा हाइ फाइबर वाली चीज़ें खानी चाहिए जैसे – ब्रोकोली, सरसों का साग, पालक, शकरकंद, हरी बीन्स, गाजर, लौकी, और कुछ खाद बीज जैसे – अलसी, कद्दू के बीज, तिल, खरबूज और तरबूज के बीज इत्यादि जो कि बाज़ार मे आसानी से विभिन्न मिश्रण वाले बीज रोस्टेड फॉर्म मे मिलते हैं | फ़ाइबर ब्लड शुगर लेवेल को नियंत्रित रखता है और साथ ही इंसुलिन को भी | PCOD मे कम से कम कुल 25 ग्राम फ़ाइबर हर रोज दिन भर के खाने से पूरा होना चाहिए | कुछ हाइ फ़ाइबर फल जैसे – केला, आम, सेव, जामुन, अमरूद, पपीता, खरबूजा इत्यादि को खा तो सकते हैं लेकिन कम रूप मे क्यूंकी इनमे फ़ाइबर के साथ साथ हाइ शुगर और carbohydrate भी होता है, इसलिए पूरे दिन के डाइट मे किसी भी एक टाइम इनमे से किसी एक फल का छोटा हिस्सा खा सकते हैं | विभिन्न तरह कि दालें भी इंसुलिन को नियंत्रित करने मे मदद करती हैं, इनमे ढेर सारा प्रोटीन भी होता है जैसे कि – हारा मटर, हरी मूंग, sprouts, पीली मूंग, सूखे बीन्स, चना दाल, सोयाबीन, चने और छोले इत्यादि |

साबुत अनाज जैसे – गेहूं, ब्राउन रिसे, पोहा, मूसली, इनमे बहुत फ़ाइबर और फायदेमंद पोषकतत्व होते हैं, बादाम, भी हाइ फ़ाइबर सोर्स है, हर रोज के आहार मे मुट्ठी भर dry फ्रूट और बीज का मिश्रण लें यानि कि एक दिन मे 20 ग्राम तक |

PCOD मे क्या नहीं खाना चाहिए ?

शक्कर, या शक्कर वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहें, हाइ fat और हाइ carbohydrate वाले खाने से बचें क्यूंकी ये इन्सुलिन को पलट सकते हैं और शुगर लेवेल बढ़ सकता है जैसे – चावल, मैदा, मिठाइयाँ, तरबूज इत्यादि इसके अलावा processed फूड जैसे पेकेट वाली चीज़ें – चिप्स, नमकीन, snacs, इत्यादि नहीं खाने चाहिए | रेडीमेड फल या उनके जूस नहीं लेने चाहिए इनमे हाइ शुगर मिक्स होता है | साधारण जूस भी नहीं लेने चाहिए, फलों के जूस बनने के बाद उनमे शुगर लेवेल बढ़ जाता है |

कब खाना चाहिए ?

दाल और फलों को दिन के समय या शाम होने से पहले खा लें, शाम या रात को प्रोटीन वाली चीज़ें नहीं खानी चाहिए, क्यूंकी वो आसानी से पछता नही है | साथ ही फलों मे जो प्रकृतिक शुगर होता है, वो शाम या रात को बॉडी के शुगर को बढ़ा सकता है, शाम को हल्की और जल्दी पचने वाली चीज़ें ही खानी चाहिए |

हफ्ते मे 1 या 2 दिन पनीर, दहि, अंडे, मछ्ली, और सोयाबीन जैसे उच्च प्रोटीने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें लेकिन दिन के समय | कोशिश करें कि रात को सोने से 2 घंटे पहले ही खाना खा लें, ताकि पाचन आसान हो, सलाद और sprouts को खाने मे ज्यादा से ज्यादा शामिल करें |

वजन कम करने के लिए भूखे ना रहें, अगर लंबे समय तक कुछ खाएँगे नहीं तो शरीर का इंसुलिन और खराब होने लगता है, इसलिए हर 3 घंटे मे कुछ न कुछ हल्की चीज़ें खाते रहें | सुबह उठने बाद 2 घंटे के अंदर अच्छी तरह नाश्ता कर ले, खाली पेट फलों का सेवन न करें एसिडिटि हो सकती है| नाश्ते और दोपहर के खाने के बीच कम से कम 4 घंटे का अंतराल रखें और दोनों के बीच कोई एक फल या बीज, या dry fruit nut, या sprouts, जैसी हल्की और कम खाने वाली चीज़ खा लें |

दोपहर के खाने के बाद रात के खाने के बीच मे भी कुछ न कुछ हल्का और हाइ फ़ाइबर या प्रोटीने युक्त पदार्थ खा लें | रात को हल्का खाना खाएं |

PCOD का इलाज़ क्यूँ जरूरी है ?

PCOD के कारण गर्भ धारण मे समस्या होती है, लेकिन कुछ महिलाओं को बच्चो के बाद PCOD कि परेशानी होती है, तो वे इसके इलाज़ पर ध्यान नहीं देते, लेकिन ये सरासर गलत है, सिर्फ और सिर्फ बच्चे के लिए ही PCOD को ठीक नहीं करना है और भी कई कारण है, जैसे कि PCOD के कारण thyroid हो सकता है, Diabetese हो सकता है, गांठ बढ़ जाए तो ओवरियन कैंसर तक कि नौबत बन सकती है इसलिए PCOD का पता चलते ही तुरंत डॉ से सलाह लेकर इलाज़ शुरू करवा लें, हो सकता है हल्का सा PCOD हो तो सिर्फ डाइट से ही बिना दवाइयों के PCOD को ठीक कर लिया जाए |

क्या PCOD मे वजन अटक जाता है, क्या करें ?

PCOD मे वजन एक तरह से रुक जाता है, कड़ी मेहनत करने के बाद भी एक scale पर वजन रुका रहता है और कम नही होता, शुरुआत मे जब डाइट और exercise शुरू करते हैं तो पहले ही महीने 2 से 3 किलो वजन कम हो जाता है लेकिन उसके बाद अटक जाता है, ऐसे मे डाइट कि सलाह ले सकते हैं और एक डाइट चार्ट बनाकर रखें और उसी के अनुसार आहार लें | हर 10 से 15 दिनों मे अपने डाइट चार्ट को बदलते रहें | एक ही डाइट चार्ट पर लंबे समय तक टीके रहने से भी वजन एक जगह अटक जाता है, आप चाहें यो किसी पोषण विशेषज्ञ या वेल्ल्नेस्स एक्सपेर्ट से 3 से 4 डाइट चार्ट बनवा सकते है, और एक एक करने उन्हे हर 15 दिनों मे बदलते रहें और Rotate करते रहें हर बार नयी डाइट चार्ट कि जरूरत नहीं है | खाने के लिए कौन सी चीज़ें जरूरी हैं उनही से डाइट चार्ट बनेगा और हर बार चीजों का सिर्फ समय बदलेगा, quantity नहीं |

मेकअप और ब्युटि से जुड़े विडियो देखें – YOUTUBE पर

Conclusion – PCOD मे क्या खाएं और क्या ना खाएं ?

PCOD काफी साधारण हो चुका है लेकिन, अगर इलाज़ पर ध्यान ना दिया जाय तो काफी चिंताजनक बन सकता है | फल और बीजों वाले खाद्य पदार्थों को खाने मे शामिल करें, हाइ प्रोटीन और हाइ फ़ाइबर कि चीज़ें खाएं | जूस, मिठाइयाँ और पैक snacs से दूर रहें | रात को हल्का ही खाएं और सुभा भरपूर नाश्ता करें | अपने शरीर को सक्रिय बनाए रखें, चलना, व्यायाम करना इत्यादि का टाइम टेबल सेट करें | चाहें तो जिम जॉइन कर सकते हैं |

2 thoughts on “PCOD मे क्या खाएं और क्या ना खाएं ?”

Leave a Comment